Thursday, 23 October 2014

दिवाली किसकी ?




                                         दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं !

"दीपावली का त्यौहार
अन्य त्यौहारों की भांति
मनाया जाता है घर घर ,
सुसुप्त आशा को जगाता है
सुख शांति ख़ुशी
सबको दे जाता है |"
यही धारना है
यही विश्वास है
शासक ,शोषित समाज का .....
नर- नारी हर  इंसान का |

किन्तु संवेदनशील व्यक्ति का दिल
रौशनी में नहायी रात्रि में
सुख के सागर दिवाली में
देखता है जब दिवाली का उजाला 
और तिमिर गभीर निशा-अंधेला......

एक बच्चा नए वस्त्रों में 
ख़ुशी ख़ुशी सज धज कर 
फुलझड़ी जलाकर 
ताम्बे के तार को फेंकता है |
दूसरा बच्चा  मैले ,फटे कपडे पहने 
टकटकी लगाकर उसे देखता है 
फिर गर्म तार को लपककर 
अपने बोरे  में डालता है 
आने वाले दिन में 
पेट की भूख मिटाने की जुगाड़ में
ताम्बे की छड ,पटाखे के कागज़ 
भर लेते हैं बोरे  में !

गरीब के सपने में उजाला आता है 
ठीक फुलझड़ी की तरह 
थोड़ी देर जलकर रौशनी देती है 
फिर अँधेरा का राज होता है 
जागृत जीवन में केवल अँधेरा है !
यह दिवाली किसकी ?
गरीब की या पैसे वालों की ?


कालीपद "प्रसाद "
सर्वाधिकार सुरक्षित




10 comments:

  1. [आप सब को पावन दिवाली की शुभकामनाएं...]
    दुख अनेक हों फिर भी देखो,
    दिवाली सभी मनाते हैं...
    प्रथम गणेश की वंदना करके,
    मां लक्ष्मी को बुलाते हैं...
    [पर्व ये दिवाली का सभी के जीवन में असंख्य खुशियां लाए]

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  2. सार्थक प्रस्तुति ..
    ज्योतिपर्व की हार्दिक मंगलकामनायें!

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  3. सुंदर प्रभावी रचना... दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ...

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  4. आपका आभार राजेन्द्र कुमार जी !

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  5. मित्र !आप को सपरिवार दीपावली की शुभकामना ! सुन्दर प्रस्तुतीकरण !

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  6. बहुत सुंदर.
    दीपोत्सव की मंगलकामनाएं !
    नई पोस्ट : दीपावली,गणपति और तंत्रोपासना

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  7. बहुत सटीक प्रस्तुति...दीप पर्व की हार्दिक मंगलकामनाएं!

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  8. Sunder va saarthak prastuti...diwali ki shubhkamna aapko !!

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  9. विचार करने योग्य बात है ...

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