नारी को जो कमजोर समझे, वो गलत है
नारी पुरुष जैसा है, ए बात भी गलत है l
सहनशीलता है नारी में पुरुष से बहुत ज्यादा
सोचो गर पराकाष्ठा है नारी, तो यह गलत है l
है प्रेम ,सहानुभूति ,भाव-भावना नारी में अधिक
गर सोचो विवेकहीन है नारी ,तो यह गलत है l
प्रकृति ने बनाया है नारी,कम जिस्म-बल देकर
गर सोचो वुद्धि में भी दीन है ,तो यह गलत है l
एक थी मणिकर्णिका,बनी अमर शहीद लाक्ष्मी बाई
और नारी में नहीं है हिम्मत,यह बात भी गलत है l
कल्पना करती है ,कल्पना उडती है अन्तरिक्ष में
विज्ञानं नहीं है उसके वश में,यह बात भी गलत है l
नारी में है हर वो सूक्ष्म गुण,जो है हर इंसान में
पुरुष में भी नारी का हर गुण है,यह बात गलत है l
कालीपद "प्रसाद
सर्वाधिकार सुरक्षित
सर्वाधिकार सुरक्षित
आपका आभार डॉ रूपचन्द्र शास्त्री जी !
ReplyDeleteनयापन लिए है ये रचना ......साधुवाद
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति...
ReplyDeleteसही कहा..
ReplyDeleteनारी महान है ... सब कुछ सक्षम है उसके लिए ...
ReplyDeleteबिलकुल सही कहा. स्त्रियाँ कम नहीं है कमतर न आँकना चाहिए.
ReplyDeleteभावपूर्ण प्रस्तुति |
ReplyDelete