नारी को जो कमजोर समझे, वो गलत है
नारी पुरुष जैसा है, ए बात भी गलत है l
सहनशीलता है नारी में पुरुष से बहुत ज्यादा
सोचो गर पराकाष्ठा है नारी, तो यह गलत है l
है प्रेम ,सहानुभूति ,भाव-भावना नारी में अधिक
गर सोचो विवेकहीन है नारी ,तो यह गलत है l
प्रकृति ने बनाया है नारी,कम जिस्म-बल देकर
गर सोचो वुद्धि में भी दीन है ,तो यह गलत है l
एक थी मणिकर्णिका,बनी अमर शहीद लाक्ष्मी बाई
और नारी में नहीं है हिम्मत,यह बात भी गलत है l
कल्पना करती है ,कल्पना उडती है अन्तरिक्ष में
विज्ञानं नहीं है उसके वश में,यह बात भी गलत है l
नारी में है हर वो सूक्ष्म गुण,जो है हर इंसान में
पुरुष में भी नारी का हर गुण है,यह बात गलत है l
कालीपद "प्रसाद
सर्वाधिकार सुरक्षित
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (17-12-2014) को तालिबान चच्चा करे, क्योंकि उन्हें हलाल ; चर्चा मंच 1829 पर भी होगी।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपका आभार डॉ रूपचन्द्र शास्त्री जी !
Deleteबहुत सुन्दर .
ReplyDeleteनई पोस्ट : यादें
नई पोस्ट : गया से पृथुदक तक
नयापन लिए है ये रचना ......साधुवाद
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति...
ReplyDeleteसही कहा..
ReplyDeleteनारी महान है ... सब कुछ सक्षम है उसके लिए ...
ReplyDeleteबिलकुल सही कहा. स्त्रियाँ कम नहीं है कमतर न आँकना चाहिए.
ReplyDeleteभावपूर्ण प्रस्तुति |
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