Saturday, 13 December 2014

पाखी (चिड़िया )




                      
चित्र गूगल से साभार

आँधी चली, बिजली चमकी ,बादल हुआ अनुदार

घोंसला उड़ा,शावक गिरा,बिखरा चिड़िया का परिवार l

तिनका तिनका जोड़कर चिड़िया,बनायी थी आशियाना

हर संकट से शावक को अपना चाहती थी बचाना l

किन्तु निष्ठुर नियति का यह विनाशकारी अभियान

पतित पेड़ के नीचे छुपकर, बचायी अपनी जान  l

मौसम का क्रोध जब शमित हुआ,पवन भी हुआ शांत

आतुरता से खोजने लगी,कहाँ है उसकी संतान l

भीगकर शावक पड़े थे अचेत,उसी पेड़ के नीचे

चोंच में उठाकर रखा गोद में अपनी छाती के नीचे l

माँ के तन की उष्मा पाकर, फिर सचेत हुए बच्चे

माँ के प्यार में सुरक्षित है दुनिया के हर बच्चे l

कालीपद "प्रसाद'
सर्वाधिकार सुरक्षित

11 comments:

  1. बहुत सुन्दर रचना...

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  2. बहुत अच्छी और सच्ची रचना ...

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  3. अदभुत मातृ प्रेम
    पधारे

    www.knightofroyalsociety.blogspot.in में

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  4. भावपूर्ण ... सच है माँ की छाया के नीचे सब सुरक्षित हो जाते हैं ...

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  5. बहुत सुंदर बिम्ब भाव रचना भाव संसार। माँ के आँचल की आंच संजीवनी है।

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  6. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (15-12-2014) को "कोहरे की खुशबू में उसकी भी खुशबू" (चर्चा-1828) पर भी होगी।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. आपका आभार डॉ रूपचन्द्र शास्री जी l

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  7. बहुत सुन्दर ...सादर बधाई

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