Tuesday, 23 December 2014

भूलना चाहता हूँ !*





भूलना चाहता हूँ तुझे,पर ऐसा नहीं होता
काश ! याद रखने की वादा किया नहीं होता l1l

इल्म नहीं थी तेरी मिजाज़ की ,रवैया का 
काश !इकरार से पहले हमें इल्म होता l2l 

जिंदगी  ख़ुशी  ख़ुशी  गुज़र गयी होती  
गर मजधार में तू  हाथ छोड़ा न होता l३l

गुज़रे पलों की याद ,रह –रह कर आती है
काश !वो पल कभी जिंदगी में आया न होता l4l

जिंदगी की सचाई की गर एहसास होता
यह जिंदगी का रंग भी कुछ अलग होता l5l 

कालीपद "प्रसाद "
सर्वाधिकार सुरक्षित

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