गुगल से साभार |
इन्सान स्वार्थ में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई कर रहे हैं जिससे वातावरण में प्राण बायु की कमी तो हो ही रही है साथ में मौसम भी अनियमित होने लगा है | समय परवर्षा न होना, आंधीतूफान, अधिकगरमी, अधिक ठण्डा होना सब प्रकृति में असंतुलन के कारण हो रहा है| इन्सान अपना शौक पूरा करने के पौधों को बोनसाई बनाकर गमले में लगा लिया है| ऐसा ही एक बन्साई पौधा इन्सान को कह रहा है--
युगों युगों से देते आये हैं
जीवन वायु तुम्हे ,
किन्तु मानव ! तुम अकृतग्य हो
कभी नहीं समझे हमें |
था मस्तक हमारा इतना ऊँचा
मानो, चाहते नभ को छूना
काट छाँट कर हमें तुमने
बना दिया पेड़ छोटा बौना |
उखाड़ कर रख लिया हाथ में
चाहते हो क्या दिखाना ?
हम न जिन्दा रहेंगे तो
मुश्किल होगा तुम्हारा जीना |
मानव हो ! समझो तुम
दानव जैसा काम न करो,
किया जो किया, भूल जाओ
हरदिन अब पेड़ का सेवा करो |
काटो ना एक भी पेड़ अब
जंगल का संरक्षण करो
वनस्पति ही जीवन का आधार है
उसका सदा संवर्धन करो |
कालीपद ‘प्रसाद’
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