Tuesday 24 December 2019

ग़ज़ल


१२२  १२२   १२२   १२२
कहाँ है सितारे जहाँ अच्छे अच्छे
कहाँ दिन हमारे निहाँ अच्छे अच्छे|

यहीं थी मेरी झोपडी अब नहीं है
यहाँ ढह गए आशियाँ अच्छे अच्छे |

वो’ ईमान का क्या करे जो बिकाऊ
बिके हैं सभी पासबाँ अच्छे अच्छे |

भरोसा करो पर रखो सावधानी
दिया झाँसना राजदां अच्छे अच्छे |

न मायूस हो तुम अभी से, समय है
अभी तो बचे मेहरबां अच्छे अच्छे |

गरजता भयानक किसी वक्त में था
सुखे सिन्धु वो बेकराँ अच्छे अच्छे |

लडे क्यों जमाने से’ कुस्ती बिरादर
धराशायी’ हैं पहलवां अच्छे अच्छे |

सियासत करो मत सरल आदमी से
बनो तुम कभी कद्रदां अच्छे अच्छे |

न राजा रहा राज-दरबार है अब
न वे हैं न उनके मकाँ अच्छे अच्छे |

फलक का सितम जो गिरा इस धरा पर
उजाड़े सभी वो बगां अच्छे अच्छे |

कालीपद प्रसाद 

4 comments:

  1. Replies
    1. शुक्रिया कविता रावत जी

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (25-12-2019) को    "यीशू को प्रणाम करें"  (चर्चा अंक-3560)    पर भी होगी। 
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
     --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  

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    1. शुक्रिया डॉ रूपचंद्र शास्त्री 'मयंक' जी

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