१२२ १२२
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कहाँ है सितारे जहाँ अच्छे
अच्छे
कहाँ दिन हमारे निहाँ अच्छे
अच्छे|
यहीं थी मेरी झोपडी अब नहीं है
यहाँ ढह गए आशियाँ अच्छे अच्छे
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वो’ ईमान का क्या करे जो बिकाऊ
बिके हैं सभी पासबाँ अच्छे
अच्छे |
भरोसा करो पर रखो सावधानी
दिया झाँसना राजदां अच्छे अच्छे
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न मायूस हो तुम अभी से, समय है
अभी तो बचे मेहरबां अच्छे अच्छे
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गरजता भयानक किसी वक्त में था
सुखे सिन्धु वो बेकराँ अच्छे
अच्छे |
लडे क्यों जमाने से’ कुस्ती
बिरादर
धराशायी’ हैं पहलवां अच्छे
अच्छे |
सियासत करो मत सरल आदमी से
बनो तुम कभी कद्रदां अच्छे
अच्छे |
न राजा रहा राज-दरबार है अब
न वे हैं न उनके मकाँ अच्छे
अच्छे |
फलक का सितम जो गिरा इस धरा पर
उजाड़े सभी वो बगां अच्छे अच्छे
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बहुत सुन्दर
ReplyDeleteशुक्रिया कविता रावत जी
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (25-12-2019) को "यीशू को प्रणाम करें" (चर्चा अंक-3560) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
शुक्रिया डॉ रूपचंद्र शास्त्री 'मयंक' जी
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