Friday, 6 December 2019

ग़ज़ल

देश में अब हर गली में कुछ असर होने लगा है
गाँव अब हर मामले में बेहतर होने लगा है |

डर लगा रहता हरिक क्षण,आज दिन कैसा बितेगा
अब खबर सुनता नहीं, दिल बे-खबर होने लगा है |
  
हर जगह होती लड़ाई डर नहीं कानून का भी
न्याय में है देर, इस कारण ग़दर होने लगा है |

मामला संगीन है,कोई नहीं सुनता किसी का
धीरे’ धीरे देश में जन का कदर होने लगा है |

वो फ़साना कुछ अलग है, लोग सब मायूस हैं अब
हर बशर के हाथ का रूमाल तर होने लगा है |

आदमी मजबूर होकर खोल देता मुँह कभी भी
शांत था जो जन अभी तक, अब मुखर होने लगा है |

सींप में मोती जनमती है यही फितरत बताती
काल आया कलि अभी घर में गुहर* होने लगा है |*मोती

कल तलक गुंडे लुटेरा था अभी कानून रक्षक
देश निष्काषित था’ जो, वो राहबर* होने लगा है | *मार्गदर्शक
 

कालीपद 'प्रसाद'

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