देश में अब हर गली में कुछ असर
होने लगा है
गाँव अब हर मामले में बेहतर
होने लगा है |
डर लगा रहता हरिक क्षण,आज दिन
कैसा बितेगा
अब खबर सुनता नहीं, दिल बे-खबर
होने लगा है |
हर जगह होती लड़ाई डर नहीं कानून
का भी
न्याय में है देर, इस कारण ग़दर
होने लगा है |
मामला संगीन है,कोई नहीं सुनता
किसी का
धीरे’ धीरे देश में जन का कदर
होने लगा है |
वो फ़साना कुछ अलग है, लोग सब
मायूस हैं अब
हर बशर के हाथ का रूमाल तर होने
लगा है |
आदमी मजबूर होकर खोल देता मुँह
कभी भी
शांत था जो जन अभी तक, अब मुखर
होने लगा है |
सींप में मोती जनमती है यही
फितरत बताती
काल आया कलि अभी घर में गुहर*
होने लगा है |*मोती
कल तलक गुंडे लुटेरा था अभी
कानून रक्षक
देश
निष्काषित था’ जो, वो राहबर* होने लगा है | *मार्गदर्शक कालीपद 'प्रसाद'
वाह
ReplyDeleteसादर आभार
DeleteWow bahut hi acha post likha hai aapne
ReplyDeleteविज्ञान प्रौद्योगिकी कम्प्यूटर पर्यावरण की जानकारी के लिए एक बार जरूर आये