Wednesday, 31 July 2013

,नेताजी कहीन है।

यह मुम्बई -देल्ही -काश्मीर ढाबा नहीं है
 


मुंबई में बारह रुपये ,दिल्ली में पांच रुपये 
भर पेट खाना खाइए ,बब्बर-रसीद कहीन है। 

बारह पांच के चक्कर में काहे पड़त  हो भैया 
रूपया रूपया खाना खाओ ,फारुक जी कहीन है। 

अट्ठाईस लाख का सौचालय ,आयोग के अध्यक्ष का 
अट्ठाईस का आंकड़ा शुभ है ,अध्यक्ष जी कहीन है। 

अट्ठाईस रुपये भरपेट हरदिन ,गरीब खा सकते हैं 
ज्याद खायेगा देश गरीब हो जाएगा ,नेताजी कहीन है।

ज्यादा खाते है गरीब ,इसी से महगाई बढती है 
'भारत हो गया है पेटू' ,हम नहीं ,वित्त मंत्री कहीन है। 

कैदी का खाना ३२ रूपये ,गरीब का खाना २८ रुपये 
अच्छा खाना है ,कैदी बन जाओ ,नेताजी का सन्देश है। 

 अठरह रुपये में एक थाली सांसद को मिलती है
डेढ सौ रुपये उस  थाली पर ,सरकार चुकाती है। 


कालीपद "प्रसाद" 


© सर्वाधिकार सुरक्षित
 

42 comments:

  1. जीभवा में हड्डी थोड़े बा
    जे लटपटाई
    जेकर मनवा में जे आई
    कहले जा भाई
    सार्थक अभिव्यक्ति
    सादर

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  2. आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल गुरुवार (01-08-2013) को "ब्लॉग प्रसारण- 72" पर लिंक की गयी है,कृपया पधारे.वहाँ आपका स्वागत है.

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  3. संवाद का धागा महीन है, या बुद्धि का।

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  4. किसी को नहीं छोड़ा-
    राह का यही सब है रोड़ा

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  5. राजेन्द्र कुमार जी आपको धन्यवाद !

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  6. नेता जी कहते हैं और जनता सुनती है ...

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  7. जीभवा में हड्डी होला ना
    जेकरा जवन कहे के बा
    कह ल लोग
    मौका मिले या ना मिले
    सार्थक अभिव्यक्ति
    सादर

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  8. वाह ....बहुत सुन्दर भाव .....वर्तमान राजनैतिक अन्धकार को अंकित करती हुयी | आम आदमी की आवाज

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  9. बहुत सही बहुत खूब !!

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  10. नेताओ का काम है सिर्फ कहना ,करना नहीं..सटीक रचना..

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  11. neta jee ko khood ki thali ko chhod sabhi me ghee nazar aata hai ...

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  12. आगे पीछे सभी को लपेट लिया आपने ...
    पर इन नेताओं को शर्म नहीं आने वाली ... मोटी खाल है इनकी ...

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  13. jabardast ..aapne to bilkul kalai hee khol dee ..sadar badhayee ke sath

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  14. ब्लॉग बुलेटिन की टीम बहुत बहुत धन्यवाद शिवम् जी !

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  15. सुन्दर सटीक अभिव्यक्ति …

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  16. बहुत खूब सुंदर सटीक अभिव्यक्ति,,,

    RECENT POST: तेरी याद आ गई ...

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  17. shandar...................waaaaaaaaaah

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  18. प्रासंगिक धारदार व्यंग्य।

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  19. बहुत अच्छा व्यंग , इन नेताओं ने गरीबों तथा गरीबी का तो जैसे मजाक बना के रख दिया है

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  20. बहुत सटीक प्रस्तुति...

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  21. बहुत सार्थक और सटीक व्यंग्य

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  22. बहुत उम्दा,सुन्दर

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  23. सार्थक व्यंग्य

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  24. आदरणीय उत्कृष्ट कटाक्ष के लिए बधाई !

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  25. बढ़िया सामयिक रचना ..
    बधाई आपको !

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  26. कटाक्ष समसामयिक हैं ..उम्दा

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  27. नेताजी जो कहिन सो कहिन, आप सही कहिन हैं ।
    सारे नेताओं का भत्ता १२ रू प्रतिजिन कर दिया जाये ।

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  28. अच्छी रचना...
    वैसे सांसद की थाली अठारह रूपये की नहीं होती है...

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    1. सिन्हा जी , दो दिन से नेट पर आ नहीं सका .अत: आपकी टिप्पणी पर प्रतिक्रिया दे नहीं पाया .दर असल ये सभी आंकडें टी वी चानेल में दिखाए गए आंकड़े पर आधारित है. यदि आपको या किसी अन्य मित्र को सांसद को मिलने वाली थाली की आज की सही कीमत और उस पर मिलने वाली सब्सिडी के बारे सही जानकारी हो तो टिप्पणी के रूप में सूचित करें आभारी रहूँगा

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  29. दुर्घटना में हाथ टूटने से आप सब से इतने समय से अलग रहने का दंश झेलना पड़ा |अभी भी दाहिने हाथ की उंगलियाँ सीधी नहीं हो पा रही हैं |
    आप का यह व्यंग्य-प्रहार यथार्थ और उचित है | देचिये मुझे एक बात सूझी है:--
    नेताओं का बडबोलापन आज देश को रुला रहा |
    सत्य-प्रकाश की राजनीति की स्वच्छ नीति को भुला रहा ||
    जगा रहा है छल- फ़रेब को, और कपट के दुर्मुख को-
    और निष्कपट मनोभाव की शाश्वत गरिमा सुला रहा ||

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  30. बड़ा उम्दा और सटीक व्यंग ...नेता जी ध्यान करी !

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