यह मुम्बई -देल्ही -काश्मीर ढाबा नहीं है |
मुंबई में बारह रुपये ,दिल्ली में पांच रुपये
भर पेट खाना खाइए ,बब्बर-रसीद कहीन है।
बारह पांच के चक्कर में काहे पड़त हो भैया
रूपया रूपया खाना खाओ ,फारुक जी कहीन है।
अट्ठाईस लाख का सौचालय ,आयोग के अध्यक्ष का
अट्ठाईस का आंकड़ा शुभ है ,अध्यक्ष जी कहीन है।
अट्ठाईस रुपये भरपेट हरदिन ,गरीब खा सकते हैं
ज्याद खायेगा देश गरीब हो जाएगा ,नेताजी कहीन है।
ज्यादा खाते है गरीब ,इसी से महगाई बढती है
'भारत हो गया है पेटू' ,हम नहीं ,वित्त मंत्री कहीन है।
कैदी का खाना ३२ रूपये ,गरीब का खाना २८ रुपये
अच्छा खाना है ,कैदी बन जाओ ,नेताजी का सन्देश है।
अठरह रुपये में एक थाली सांसद को मिलती है
डेढ सौ रुपये उस थाली पर ,सरकार चुकाती है।
कालीपद "प्रसाद"
© सर्वाधिकार सुरक्षित
जीभवा में हड्डी थोड़े बा
ReplyDeleteजे लटपटाई
जेकर मनवा में जे आई
कहले जा भाई
सार्थक अभिव्यक्ति
सादर
gazab kahin bhayeeya ,bahut khoob
ReplyDeleteआपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल गुरुवार (01-08-2013) को "ब्लॉग प्रसारण- 72" पर लिंक की गयी है,कृपया पधारे.वहाँ आपका स्वागत है.
ReplyDeletebehatareen
ReplyDeleteसंवाद का धागा महीन है, या बुद्धि का।
ReplyDeletesach kaha apne......
ReplyDeleteकिसी को नहीं छोड़ा-
ReplyDeleteराह का यही सब है रोड़ा
राजेन्द्र कुमार जी आपको धन्यवाद !
ReplyDeleteनेता जी कहते हैं और जनता सुनती है ...
ReplyDeletemera comment spam men hai kya ?
ReplyDeleteजीभवा में हड्डी होला ना
ReplyDeleteजेकरा जवन कहे के बा
कह ल लोग
मौका मिले या ना मिले
सार्थक अभिव्यक्ति
सादर
बहुत सुंदर
ReplyDeleteक्या बात
वाह ....बहुत सुन्दर भाव .....वर्तमान राजनैतिक अन्धकार को अंकित करती हुयी | आम आदमी की आवाज
ReplyDeleteबहुत सही बहुत खूब !!
ReplyDeleteनेताओ का काम है सिर्फ कहना ,करना नहीं..सटीक रचना..
ReplyDeleteबहुत सटीक.
ReplyDeleteरामराम.
neta jee ko khood ki thali ko chhod sabhi me ghee nazar aata hai ...
ReplyDeleteआगे पीछे सभी को लपेट लिया आपने ...
ReplyDeleteपर इन नेताओं को शर्म नहीं आने वाली ... मोटी खाल है इनकी ...
jabardast ..aapne to bilkul kalai hee khol dee ..sadar badhayee ke sath
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की टीम बहुत बहुत धन्यवाद शिवम् जी !
ReplyDeleteशानदार व्यंग्य प्रस्तुति। आभार।।
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सुन्दर सटीक अभिव्यक्ति …
ReplyDeleteबहुत खूब सुंदर सटीक अभिव्यक्ति,,,
ReplyDeleteRECENT POST: तेरी याद आ गई ...
shandar...................waaaaaaaaaah
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ReplyDeleteप्रासंगिक धारदार व्यंग्य।
धारदार व्यंग .... !!
ReplyDeleteबहुत अच्छा व्यंग , इन नेताओं ने गरीबों तथा गरीबी का तो जैसे मजाक बना के रख दिया है
ReplyDeleteबहुत सटीक प्रस्तुति...
ReplyDeleteबहुत सार्थक और सटीक व्यंग्य
ReplyDeleteबहुत उम्दा,सुन्दर
ReplyDeleteसार्थक व्यंग्य
ReplyDeleteआदरणीय उत्कृष्ट कटाक्ष के लिए बधाई !
ReplyDeleteबढ़िया सामयिक रचना ..
ReplyDeleteबधाई आपको !
कटाक्ष समसामयिक हैं ..उम्दा
ReplyDeleteनेताजी जो कहिन सो कहिन, आप सही कहिन हैं ।
ReplyDeleteसारे नेताओं का भत्ता १२ रू प्रतिजिन कर दिया जाये ।
sach kaha aapane
ReplyDeleteअच्छी रचना...
ReplyDeleteवैसे सांसद की थाली अठारह रूपये की नहीं होती है...
सिन्हा जी , दो दिन से नेट पर आ नहीं सका .अत: आपकी टिप्पणी पर प्रतिक्रिया दे नहीं पाया .दर असल ये सभी आंकडें टी वी चानेल में दिखाए गए आंकड़े पर आधारित है. यदि आपको या किसी अन्य मित्र को सांसद को मिलने वाली थाली की आज की सही कीमत और उस पर मिलने वाली सब्सिडी के बारे सही जानकारी हो तो टिप्पणी के रूप में सूचित करें आभारी रहूँगा
Deleteekdam sahi kaha hai aapne .
ReplyDeletewah wah kya baat hai
ReplyDeleteदुर्घटना में हाथ टूटने से आप सब से इतने समय से अलग रहने का दंश झेलना पड़ा |अभी भी दाहिने हाथ की उंगलियाँ सीधी नहीं हो पा रही हैं |
ReplyDeleteआप का यह व्यंग्य-प्रहार यथार्थ और उचित है | देचिये मुझे एक बात सूझी है:--
नेताओं का बडबोलापन आज देश को रुला रहा |
सत्य-प्रकाश की राजनीति की स्वच्छ नीति को भुला रहा ||
जगा रहा है छल- फ़रेब को, और कपट के दुर्मुख को-
और निष्कपट मनोभाव की शाश्वत गरिमा सुला रहा ||
बड़ा उम्दा और सटीक व्यंग ...नेता जी ध्यान करी !
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