Sunday 2 August 2015

देश खुशहाल है ? (मुक्तक )*

  • बहुत हैं ऐसे जो ,एक रोटी के लिए तरसते हैं
  • थाली भर लेते हैं कुछ,आधा खाकर छोड़ देते हैं 
  • जिम्मेदार हैं वे खुद, इस देश के अन्न की बर्बादी के
  • नासमझी में बर्बाद कर अन्न,औरों को भूखा रखते हैं |


  • समझदारी से थाली में उतना ले, जितना खा सकते हैं
  • जरुरत पड़ने पर हर भोज्य को, बार बार ले सकते हैं 
  • सोचो जरा उन गरीब लाचार ,निराश्रय लोगो के बारे में
  • देश में ऐसे करोड़ों लोग हैं ,जो भूखे पेट सोते हैं |


  • केवल खुद के बारे में नहीं, देश के बारे में भी सोचना है
  • देशभक्त, जिम्मेदार नागरिक का,पावन कर्त्तव्य निभाना है
  • अन्न की बरबादी रोकना, है यह सबकी नैतिक जिम्मेदारी  
  • जब सबके थाली में भोजन होगा, देश खुशहाल तब कहना है |



कालीपद 'प्रसाद'
© सर्वाधिकार सुरक्षित


4 comments:

  1. दिनांक 03/08/2015 को आप की इस रचना का लिंक होगा...
    चर्चा मंच[कुलदीप ठाकुर द्वारा प्रस्तुत चर्चा] पर...
    आप भी आयेगा....
    धन्यवाद...

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    1. धन्यवाद कुलदीप ठाकुर जी ,जरुर आयेंगे |

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  2. खाने का सम्मान करना बहुत जरुरी है । बहुत अच्छा लिखा है आपने ।

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