Sunday 21 April 2019

ग़ज़ल

एक ग़ज़ल
हो गई है सभी बातें अभी’ घर जाऊंगा
झूठ बोला यहाँ’ अब सिर्फ मुकर जाऊंगा |
ऐ सनम छोड़ कभी भी नहीं’ जाना तुझको
गर गया तो तेरे ही साथ मगर जाऊंगा |
आसरा जीस्त का’ तू ही तो’ है’ मेरे जानम
तू अगर मोड ले’ मुँह तो मैं’ किधर जाऊंगा?
कष्ट मय क्लेश को’ सहता रहा’ हूँ मैं जानम
प्यार पाकर तेरा तन मन से’ सँवर जाऊंगा |
अब अनादर नहीं’ बरदाश्त करूंगा ए' सनम
जिस जगह प्यार मिलेगा मैं’ उधर जाऊंगा |
बेवफाई करें मुझसे नहीं’ ‘काली’ स्वीकार
आसरा एक न हो राहगुजर जाऊंगा |
कालीपद 'प्रसाद'

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