Tuesday, 2 April 2019

ग़ज़ल


मंत्रीपद के लिए दिल मचलने लगे
रहनुमा स्वयं पार्टी बदलने लगे |

सिर्फ सिद्धांत का अर्थ कुछ भी नहीं
स्वार्थ में अर्थ भी तो बदलने लगे

घूस देने सभी पार्टियां है चतुर
रहनुमा के कदम भी फिसलने लगे |

लाख पंद्रह नहीं आ सका तो अभी
अपने वादे से नेता पलटने लगे |

तेज आदित्य,  माहौल भी गर्म है
गर्म वैशाख में तन झुलसने लगे |

दल बदल अब तलक चल रहा है अबाध
मामला इंतखाबी  उलझने लगे|

ढूंढते, कौन पैसा अधिक दे रहा
दल बदल करनेवाले भटकने लगे |

कालीपद 'प्रसाद'

21 comments:

  1. बहुत ही बेहतरीन गज़ल

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    1. तहे दिल से शुक्रिया रीना मौर्य जी

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  2. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना 3 अप्रैल 2019 के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    1. साझा करने के लिए सादर आभार पम्मी सिंह 'तृप्ति " जी

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  3. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 02/04/2019 की बुलेटिन, " २ अप्रैल को राकेश शर्मा ने छुआ था अंतरिक्ष - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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    1. सादर आभार शिवम् मिश्रा जी

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  4. सिर्फ सिद्धांत का अर्थ कुछ भी नहीं
    स्वार्थ में अर्थ भी तो बदलने लगे
    बहुत खूब

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    1. सादर आभार ज्योति सिंह जी

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  5. बेहतरीन ग़ज़ल। सादर बधाई।

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    1. तहे दिल से शुक्रिया वीरेंदर सिंह जी

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  6. बहुत सुंदर ग़ज़ल

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    1. शुक्रिया अनुराधा चौहान जी

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  7. बहुत ही शानदार गजल सार्थक सुंदर ।

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    1. तहे दिल से शुक्रिया मन की वीणा जी

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  8. बहुत सुन्दर समसामयिक गजल...
    वाह!!!

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    1. शुक्रिया सुधा देवरानी जी

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    1. शुक्रिया आनंद विक्रम त्रिपाठी जी

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  10. सादर शुक्रिया अनु शुक्ल जी |

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  11. सादर आभार अनुराधा चौहान जी

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  12. शुक्रिया आनंद विक्रम त्रिपाठी जी

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