Tuesday, 23 April 2019

ग़ज़ल


झूठ बोले धर्म आसन से जमाना क्या करें ?
अब खुदा भी हो गए हैं कैद आशा क्या करें ?

हो गए वादे सभी अब खत्म खाली झोलीहै
वोट कैसे मांगेजनता से बहाना क्या करें ?

गोत्र  समुदाय और मजहब हो गए प्रतिबंध सब
 अब समझ में कुछ नहीं, मल्हार गाया क्या करें ?

नोट बंदी से खजाना खोखला अब हो गया
जेब में पैसे नहीं इक,अब लुटाया क्या करें ?

वोट में सब पोल खुलते है, हमारा भी खुला
 झूठ की गटरी सभी भाषण, छिपाया क्या करें?

 हारने के बाद पछतावा  हीरह जाता  सनम
यह बड़ी दुख की घड़ी अब  गुनगुनाया क्या करें ?

तोड़कर दिल बेकरारी दी मुझे क्यों ए सनम
 तू बताकालीकि   बेचारा दिवाना क्या करें |
 
कालीपद ''प्रसाद'

2 comments: