Friday 31 October 2014

प्रार्थना !

  

गूगल से साभार



हे निरंजन ,हे निर्गुण  निराकार
बड़ी देर से बैठा हूँ मैं तेरे द्वार
इस आशा और दृढ विश्वास के साथ
मुझे पास बुलाओगे पकड़ मेरा हाथ |
मेरा विश्वास को टूटने न देना
भव सागर को पार करा देना
डगमग डगमग दोल रहा है नाव मेरा
नहीं पार जायगा बिन तेरा सहारा |
सागर किनारे खडा  हैं भक्त तेरा
तैरना नहीं आता कौन बनेगा मेरा सहारा ?
शिला जो तैरे पानी में ,उसका पुल बना दे
या नाविक बनकर ,तु मुझको पार लगा दे !

कालीपद "प्रसाद "
सर्वाधिकार सुरक्षित

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19 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (01-11-2014) को "!! शत्-शत् नमन !!" (चर्चा मंच-1784) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच के सभी पाठकों को
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. आपका हार्दिक आभार डा रूपचंद्र शास्त्री जी !

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  2. बहुत अछा प्रस्तुतीकरण ! शान्त-रस प्रधान !

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  3. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी है और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा - शनिवार- 01/11/2014 को
    हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः 43
    पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें,

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    1. आपका आभार दर्शन जांगरा जी !

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  4. विनय एवं भक्ति भावना प्रधान सुन्दर प्रस्तुति !

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  5. प्रार्थना दिल से

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  6. बहुत सुन्दर भक्तिमय प्रस्तुति...

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  7. सुन्दर रचना !
    कृपया मेरे ब्लॉग पर आये !!

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  8. bhakti va vishwas se ot-prot... Sunder rachna !!

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  9. बहुत हि सुंदर , धन्यवाद !
    Information and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
    आपकी इस रचना का लिंक दिनांकः 3 . 11 . 2014 दिन सोमवार को I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ पर दिया गया है , कृपया पधारें धन्यवाद !

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    1. आपका आभार आशीष जी ! विलम्ब के लिए क्षमाप्रार्थी !
      जीवन साथी की तबियत ख़राब होने के कारण अस्पताल में ज्यादा समय निकल जाता है !

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  10. आमीन ... सुन्दर प्रार्थना के शब्द ...

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  11. बहुत सुन्दर लिंक

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