मेरे विचार और अनुभुतियों की गुलिस्ताँ में आपका स्वागत है |.... ना छंदों का ज्ञान,न गीत, न ग़ज़ल लिखता हूँ ....दिल-आकाश-उपज,अभ्रों को शब्द देता हूँ ........................................................................ ............. इसे जो सुन सके निपुण वो हैं प्रवुद्ध ज्ञानी...... विनम्र हो झुककर उन्हें मैं प्रणाम करता हूँ |
अनुपम आग्रह
ReplyDeletesarthak baat kahi apne.....sundar rachna
ReplyDeleteउम्दा रचना ..... खुबसूरत अभिव्यक्ति
ReplyDeleteआपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (05.12.2014) को "ज़रा-सी रौशनी" (चर्चा अंक-1818)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है।
ReplyDeleteआपका आभार राजेन्द्र कुमार जी !
ReplyDeleteउत्कृष्ट रचना..बेहद भावपूर्ण।
ReplyDeleteसुन्दर रचना !
ReplyDeletebehad bhaawpurn rachna...ati sunder
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