तरही ग़ज़ल
जिस
राह से भी’ गुजरा है कारवाँ हमारा
भारत
वतन वही है, हिन्दोस्तां हमारा |
ऐ
पाकि, चीन सुनलो हिन्दोस्तां हमारा
अब भूलकर कभी ना लो इम्तिहाँ हमारा |
हर डाल
पर बसा पंछी देश का दुलारा
हर डाल
पर बसेरा है, आशियाँ हमारा |
तैनात
शूरवीरों की फ़ौज सरहदों पर
भारत
के पासबाँ जो, वो पासबाँ हमारा |
हम है
अनीक, भारत की भक्ति है दिलों में
आसां
नहीं मिटाना नाम-ओ–निशां हमारा | *
सारे
जहां है’ वाक़िफ़ हिन्दोस्तां की’ गरिमा
अब तुम
भी’ जान लो गौरव दास्ताँ हमारा |
उस
म्यानमार से इस गुजरात तक हमारे
कश्मीर
की हवा, धरती आसमां हमारा |
कश्मीर
का विलय ‘काली’ फायदा किया है
अब भेद
भाव ना झगडा, दरमियाँ हमारा |
कालीपद 'प्रसाद'
देश प्रेम से ओत प्रोत मन में जोश का संचार करती बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल है आदरणीय
ReplyDeleteसादर
सादर आभार आ अनिता सैनी जी
Deleteवाह बहुत सुंदर देशभक्ति से सराबोर अभिनव अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteसादर आभार आ मन वीणा जी
Deleteसादर शुक्रिया आ रूपचंद्र शास्त्री जी
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