Saturday, 16 November 2019

ग़ज़ल


        तरही ग़ज़ल 
जिस राह से भी’ गुजरा है कारवाँ हमारा
भारत वतन वही है, हिन्दोस्तां हमारा |

ऐ पाकि, चीन सुनलो हिन्दोस्तां हमारा
अब भूलकर कभी ना लो इम्तिहाँ हमारा |

हर डाल पर बसा पंछी देश का दुलारा
हर डाल पर बसेरा है, आशियाँ हमारा |

तैनात शूरवीरों की फ़ौज सरहदों पर
भारत के पासबाँ जो, वो पासबाँ हमारा |

हम है अनीक, भारत की भक्ति है दिलों में
आसां नहीं मिटाना नाम-ओ–निशां हमारा | *

सारे जहां है’ वाक़िफ़ हिन्दोस्तां की’ गरिमा
अब तुम भी’ जान लो गौरव दास्ताँ हमारा |

उस म्यानमार से इस गुजरात तक हमारे
कश्मीर की हवा, धरती आसमां हमारा |

कश्मीर का विलय ‘काली’ फायदा किया है
अब भेद भाव ना झगडा, दरमियाँ हमारा |

 कालीपद 'प्रसाद'

6 comments:

  1. देश प्रेम से ओत प्रोत मन में जोश का संचार करती बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल है आदरणीय
    सादर

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    1. सादर आभार आ अनिता सैनी जी

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  2. वाह बहुत सुंदर देशभक्ति से सराबोर अभिनव अभिव्यक्ति।

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    1. सादर आभार आ मन वीणा जी

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  3. सादर शुक्रिया आ रूपचंद्र शास्त्री जी

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