Saturday, 9 November 2019

ग़ज़ल


१२२२  १२२२  १२२ 
दिलों में जब वफ़ा का स्थान होगा
वही इंसान का ईमान होगा |

हमारे वीर का कुर्बान होगा
जवानों पर हमें अभिमान होगा |

जितेंगे हम पराजय शत्रु का है
हमारे देश का सम्मान होगा |

विजय का यह तिरंगा ना झुकेगा
वही तो देश का पहचान होगा |

शहीदों के घरों में जगमगाहट
अदू के घर सदा बीरान होगा |

विजय डंका बजेगा आठ यामें
सभी के चेहरे पर मुश्कान होगा |

न कोई भूख तृष्णा से मरेगा
यही भारत सुखद गुलदान होगा |

सदाचारी हितैषी लोग हों जब
विदेशों में तभी गुणगान होगा |

सभी सहयोग गर ‘काली’ करे तो
निवासी को सुखद अहसास होगा |
कालीपद 'प्रसाद'


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