प्रिय मित्रों, पिछले पोस्ट में आपने नवदुर्गा के ऊपर लिखा गया हाइकू पढ़ा |मुझे ख़ुशी हुई कि आप लोगों ने उसे पसंद किया | आज नवमी पूजा है और दोपहर बाद दशमी अर्थात विजयादशमी शुरू हो रहा है | असुरों की बध का दिन | इसीलिए महिषासुर बध की कहानी को मैंने हाइकू छंद में प्रस्तुत करने की कोशिश की |यह लम्बा किस्सा है | अत: इसे संक्षेप में बताने की कोशिश की है ,फिरभी इसका १११ हाइकू छंद बने | सबको एक साथ प्रस्तुत करना समय की कमी के कारण संभव नहीं हो पा रहा है | इसीलिए यह तीन भाग ३७ ,३७, ३७ छंदों में प्रस्तुत किया जायगा| आपसे निवेदन है आप तीनो भाग को अवश्य पढ़े और अपना बहुमूल्य मत से मुझे अवगत कराएँ |
महिषासुर बध ! (भाग १ )
१
श्री महालक्ष्मी
कमलासन स्थित
दुर्गा स्वरुप |
२
अम्बिका देवी
माँ महिषमर्दिनी
अहम् नमामि |
३
हाथों में गदा
शूल चक्र धनुष
विविध अस्त्र |
४
फरसा गदा
कुण्डिका दण्ड घंटा
अक्ष की माला |
५
देवों प्रदत्त
सर्व अस्त्र सज्जित
रण की साज |
६
नवीन रूप
अम्बिका के कोशज
कौशिकी नाम |
*****
७
महिषासुर
था असुरों का स्वामी
था महावली |
८
देवेन्द्र इन्द्र
देवों के साथ अग्नि
युद्ध में हारे |
९
ब्रहमा के आगे
पराजित देवता
प्रार्थना किया |
१०
ब्रह्मा ने कहा
विष्णु और शंकर
शेष सहारा |
११
ब्रह्मा जी संग
देवता गए जहाँ
विष्णु शंकर |
१२
देवेश्वरों को
किस्सा पराजय की
पूरी सुनाई |
१३
वायु, चन्द्रमा
इन्द्र, अग्नि, वरुण
युद्ध में हारे |
१४
देवता सब
विताड़ित स्वर्ग से
आश्रय हीन |
१५
महिषासुर
दुरात्मा दानव से
देवता त्रस्त|
१६
हे भगवन !
करो कुछ उपाय
आप सहारा |
१७
देवताओं के
सुनकर वचन
विष्णु शंकर |
18
भौंये उनकी
तनगए क्रोध से
कोप से भरे |
१९
महान तेज
श्री विष्णु के मुख से
प्रकट हुआ |
२०
उसमें मिला
ब्रह्मा ,शंकर ,इन्द्र
शरीर तेज |
२१
देवतायों के
शरीर से भी तेज
आकर मिला |
२२
जाज्वल्यमान
तेज पर्वत पुंज
महान दृश्य |
२३
एकत्रित हो
देवताओं ने देखा
व्याप्त ज्वालायें |
२४
महान तेज
फैला दशों दिशाएँ
चकित देव |
२५
सुन्दरी नारी
आविर्भूत ज्वाला से
दैविक रूप |
२६
कल्याणमयी
देवी का आविर्भाव
देव प्रसन्न|
२७
पिनाकधारी
भगवान शंकर
शूल का दान |
२८
श्री विष्णु ने भी
भगवती को दिया
अपना चक्र |
२९
अग्नि ने शक्ति
वरुण ने भी शंख
किया अर्पण |
३०
वायु ने दिया
वाण से भरे तुण
और धनुष |
३१
इन्द्र ने दिया
अमोघ अस्त्र वज्र
ओ एक घंटा |
३२
यम ने दिया
कालदंड का दण्ड
वरुण पाश |
३३
प्रजापति ने
स्फटिकाक्ष की माला
प्रदान किया |
३४
ब्रह्मा ब्राह्मण
क़मण्डलू भेंट किया
भगवती को |
३५
देवताओं के
सभी अस्त्र शस्त्र से
सज्जित देवी|
३६
गगन भेदी
देवी के सिंहनाद
कापें धरती |
३७
पुरे विश्व में
कम्पन फैल गयी
कापें पर्वत |
*********
क्रमशः-भाग २
कालिपद "प्रसाद "
सर्वाधिकार सुरक्षित
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteविजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
वाह बहुत सुन्दर लिखा है...विजय दशमी की हार्दिक शुभकामनाएं आप को..
ReplyDeleteसभी हाइकू लाजवाब हैं ... सटीक अर्थ लिए ...
ReplyDeleteविजय दशमी की शुभकामनायें ...
हाइकू अच्छे लगे |सटीक और उम्दा |विजयदशमी पर हार्दिक शुभ कामनाएं |
ReplyDeleteआपकी यह पोस्ट आज के (१३ अक्टूबर, २०१३) ब्लॉग बुलेटिन - बुरा भला है - भला बुरा है - क्या कलयुग का यह खेल नया है ? पर प्रस्तुत की जा रही है | आपको विजय दशमी की हार्दिक शुभकामनायें और सहर्ष बधाई ।
ReplyDeleteमाननीय तुषार राज जी आपका आभार !घरमे ही दुर्गा पूजा किया है इस वजह ब्लॉग पर पहुच नहीं पाया |.विलम्ब के लिए खेद है !
Deletebahut sundar haiku ....sarthak bhii ...!!
ReplyDeletevijayadashmi ki shubhkamnayen .
विजयादशमी की शुभकामनाएँ !
ReplyDeleteसुंदर !
विजयादशमी की अनंत शुभकामनाएं
ReplyDeleteबहुत सुंदर
उत्कृष्ट प्रस्तुति
सादर
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (14-10-2013) विजयादशमी गुज़ारिश : चर्चामंच 1398 में "मयंक का कोना" पर भी है!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का उपयोग किसी पत्रिका में किया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
माननीय शास्त्री जी आपका आभार !घरमे ही दुर्गा पूजा किया है इस वजह ब्लॉग पर पहुच नहीं पाया |.विलम्ब के लिए खेद है !
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।सटीक और उम्दा
ReplyDeleteवाह ! बहुत सुंदर हाइकू !
ReplyDeleteविजयादशमी की शुभकामनाए...!
RECENT POST : - एक जबाब माँगा था.
वाह ! बहुत सुंदर सटीक हाइकू !
ReplyDeleteविजयादशमी की शुभकामनाए...!
RECENT POST : - एक जबाब माँगा था.
sundar hiykooo.......
ReplyDeleteशब्दों के छोटे -छोटे पुष्प-गुच्छों में भक्ति-भावना से परिपूर्ण बहुत सुंदर अभिव्यक्ति . विजया दशमी की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं.
ReplyDeleteयह तो हाइकू महाकाव्य के लक्षण हैं।
ReplyDeleteumda hiku...shabd nahi...
ReplyDeleteअनुपम ..विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ ..
ReplyDeleteअति उत्तम रचना
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeletenc post sr !
Deletehttp://drpratibhasowaty.blogspot.in/2013/10/haiga-animation.html?spref=tw
विजय दशमी की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteसंग्रहनीय सार्थक पोस्ट
सादर
सार्थक हस्तकक्षेप हाइकु की मार्फ़त महिषासुर वध .सुन्दर प्रस्तुति .शेष भी ज़रूर पढेंगे आपने इतना श्रम लिखने में किया है .
ReplyDeleteसुंदर और सामयिक हाइकू, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
सुन्दर प्रस्तुति !!
ReplyDeleteअति सुन्दर वर्णन ! आभार
ReplyDeleteबहुत सुंदर ...आप के ब्लॉग पर आ कर बहुत अच्छा लगा
ReplyDeleteअति सुन्दर ... आभार
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