महिषासुर बध (भाग तीन)अन्तिम भाग
७६
महिषासुर
धरा भैंस का रूप
गणों को त्रास |
७७
युद्ध आरम्भ
गण सभी हतास
मार खाकर |
७८
गणों की सेना
मारे महिषासुर
जीते असुर |
७९
जगदम्बा को
क्रोध हुआ बहुत
सिंह दहाड़े |
८०
महिषासुर
क्रोध में भर कर
खुरों भू खोदे |
८१
अपने सींगों
ऊँचें ऊँचें पर्वतें
उठाके फेंके |
८२
क्रोध में भरे
महादैत्य को देख
अम्बिका क्रोधी |
८३
महा संग्राम
हुआ पाश बंधन
महिषासुर |
८४
पाश बंधन
महान असुर को
देवी ने किया |
८५
महिषासुर
त्याग भैंस का रूप
धरा सिंह के |
८६
जगदम्बा ज्यों
सिंह माथा काटने
उद्दत हुई....
८७
त्यों खड्गधारी
पुरुष के रूप में
दिखाई दिया |
८८
बाणों की वर्षा
तब देवी ने किया
भेदा पुरुष |
८९
मायाबी दैत्य
गजराज के रूप
धारण किया |
९०
सुढ़ से हाथी
अम्बिका के सिंह को
खींचने लगा |
९१
तलवार से
काटी सुढ़ उसकी
अम्बिका ने |
९२
महादैत्य ने
रूप धारण किया
पुन: भैंस का |
९३
क्रोध में भरी
जगदम्बा चण्डिका
भृकुटी तानी |
९४
मधु का पान
करके आँखें लाल
हँसने लगी |
९५
हुआ उन्मत्त
पराक्रमी राक्षस
गर्जने लगा |
९६
फेंकने लगा
चण्डिका के ऊपर
पर्वतों को भी |
९७
देवी अपने
बाणों के समूह से
चूर्ण करती |
९८
उनका मुख
मधु मद से लाल
दैत्य को बोली |
९९
ओ मूढ़मति !
मेरे मधु पीने की
अवधी तक ......
१००
जी भरकर
क्षणभर के लिए
खूब गर्ज ले |
१०१
मेरे हाथों से
तुम यहीं मरोगे
गर्जेंगे देव |
१०२
यूँ कहकर
उछल कर देवी
थी दैत्य पर |
१०३
पैर से दबा
उन्हें शूल से किया
कंठ आघात |
१०४
महिषासुर
धरने लगा रूप
दूसरा कोई |
१०५
आधे शरीर
बाहर निकला था
भैंस रूप से |
१०६
देवी प्रभाव
नहीं निकला पूरा
आधा अधुरा |
१०७
इस पर भी
युद्ध करने लगा
देवी से दैत्य |
१०८
देवी ने तब
तलवार से काट
मुंड गिराया |
१०९
दैत्यों की सारी
सेनायें भाग गई
त्रासदी मची |
११०
देवतागण
अत्यंत प्रसन्न हो
नाचने लगे |
१११
देव महर्षि
साथ स्तवन किये
दुर्गा देवी का |
११२
जय जय माँ
जयध्वनि दुर्गा माँ
धरा आकाश |
११३
समाप्त हुआ
किस्सा महिषासुर
विराम दिया |
११४
मानव कष्ट
दूर करो जननी
अहम् नमामि |
कालीपद "प्रसाद"
सर्वाधिकार सुरक्षित*
nc sr
ReplyDeletehaiku chhand wali bat / meri samjh me nahi aai
छन्द का अर्थ होता है - मात्राओं या वर्णों का कोई निश्चित मान ,जिसके अनुसार किसी पद्य के चरण लिखे जाते हैं। हाइकू भी ५, ७ ,५ वर्णों का तीन पंक्तियों का वर्णिक छंद हुआ ना ?
Deleteहाइकु में सुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteबहुत सुंदर हायकू .
ReplyDeleteनई पोस्ट : लुंगगोम : रहस्यमयी तिब्बती साधना
बहुत खूब !
ReplyDeleteबहुत खूब !
ReplyDeletehiku mey maa ki itni sundar prastuti....superb
ReplyDeleteवाह क्या खूब अन्दाज़ है हाइकू के माध्यम से प्रस्तुत करने का
ReplyDeleteइस शैली का पार्श्व ध्वनि के रूप में मंचीय प्रयोग हो सकता है ! मौलिक !
ReplyDeleteमिश्रा जी ,आपका सुझाव उत्तम है |नृत्य नाटिका का मंचन हो सकता है |आभार
ReplyDeleteबहुत उत्तम
ReplyDeletebeautiful presentation !
ReplyDeleteहाइकू के माध्यम से बेहतरीन प्रस्तुति !
ReplyDeleteRECENT POST : - एक जबाब माँगा था.
sundar prastuti ..:)
ReplyDeleteसुन्दर.हाईकू द्वार भावो की अभिव्यक्ति की है ....आभार आप का..
ReplyDeleteसुन्दर हायकू के माध्यम से बढ़िया अभिव्यक्ति
ReplyDeleteआपका अनुभव और लेखन बेहद यथार्थ है। बहुत अच्छा लगा। बधाई और शुभकामना।
ReplyDeleteजगदम्बा को
ReplyDeleteक्रोध हुआ बहुत
सिंह दहाड़े |
बड़े फलक की सुन्दर प्रस्तुति .
sundar prastuti ....
ReplyDeleteसुन्दर व सारगर्भित प्रस्तुति ... आपकी इस उत्कृष्ट रचना की चर्चा कल 20/10/2013, रविवार ‘ब्लॉग प्रसारण’ http://blogprasaran.blogspot.in/ पर भी ... कृपया पधारें ..
ReplyDeleteबहुत सुंदर महिषासुर वध का वर्णन। हाइकू सी शैली भी बहुत अच्छी लगी।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर !
ReplyDeleteसुंदर लिखते हैं आप |हाइकू मेरे जैसे लोंगों के बस की बात नहीं ,वैसे भी आप प्रतिभाशाली हैं |
ReplyDeleteसुधीर कुमार जी ,आप भी प्रतिभाशाली हैं और आप आसानी से लिख सकते हैं , केवल नियमों का ध्यान रखिये |
Deleteशुभकामनाएं |
सुन्दर भावपूर्ण हाइकू में तारतम्य बनाए ...
ReplyDeleteसशक्त कथात्मक हाइकु
ReplyDeleteकथा में कविता-----कविता में कथा
ReplyDeleteगजब का प्रयोग,बहुत साल बाद इस तरह की रचना पढने मिली वह भी
एक कथानक पर आधारित----विशेष हाइकू में
भाई जी बहुत बहुत साधुवाद आपका
सादर
पूरी कथा हाइकु में खूबसूरती से प्रस्तुत की ..... अंतिम हाइकु में जजनी की जगह जननी कर लें ....
ReplyDeleteसंगीता जी आभार ! मेरी नजर से कैसे बच गई पता नहीं लगा | सुधार दिया |
Deleteमै तो हाईकू एक दो भी लिख नहीं सकती आपने पूरी कथा हाईकू में
ReplyDeleteलिख डाली :) वाकई बहुत अच्छा लगा पढ़कर !
आप सभी का मेरे ब्लॉग पर स्वागत है .एक बार ज़रूर पधारें... धन्यवाद.
ReplyDeletehttp://iwillrocknow.blogspot.in/
नेटवर्क की सुविधा आज उपलब्ध होने पर उपस्थित हूँ | आप की यह रचना एक नया प्रयोग है
ReplyDeleteहाइकू में प्रवंधन !
sundar haiku... khoob shundor likhechen dada
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