सपने में हम तुम |
इस कविता का पहला भाग " सपना और तुम "(नायक का सपना) ८ अप्रैल २०१३ को प्रसारित किया गया था | अब दूसरा भाग "सपना और मैं " (नायिका का सपना ) प्रस्तुत कर रहा हूँ |
निशि दिन ध्याऊं ,करू मैं क्या ,तुम नही आए
तुम हो कठोर ,याद तुम्हारी, मुझको सदा सताए |
चाहती हूँ आऊँ,पर जग की तीखी नज़र हैं हम पर
सपना ही तो पथ है ,कोई पहरा नहीं है इसपथ पर |
चली आती हूँ इस पथ पर अकेली ,बन अभिसारिका
जटीला कुटीला की तिरछी नज़रें अब हमें क्या करेगा |
विरह में तुम्हारे दिन रात , तड़पते हैं मेरा तन मन
अच्छा लगता है मुझे ,तुम्हारे मजबूत बाहों का बंधन |
प्रेम का धागा न टूटे कभी ,न टूटे यह बंधन
चिर प्याषी हूँ ,पिलाओ तुम मुझे ,जब तक हैं जीवन |
अनन्त अफुरंत है यह प्यार -मदिरा का प्याला
चाहती हूँ पीऊं और पिलाऊं , मिटाऊं ऊर की ज्वाला |
मधुर मधुर अधर तुम्हारा, है रस भरा रसीला
मेरे अधरों पर छलकते हैं,यह रस भरा प्याला |
चंचल तितली सी उड़ती फिरूं मैं जब बाग़ में
पकड़ो मेरे बाहों को ज्यूँ ,मुहँ छुपा लूँ मैं आँचल में|
फूलों की खुशबु से मोहित मंडराए भौंरे इधर उधर
भौरों की भांति तुम भी ,लगाते हो मेरे चक्कर |
मैं आगे , तुम पीछे ,सरपट भागते जाती हूँ
नाज़ुक हूँ मैं ,थक जाती हूँ ,तब पकड़ में आती हूँ |
बाहों में आकर तम्हारे , मेरे दिल को शुकून मिलता है
काल की गति रुक जाय वहीँ ,दिल यही दुआ मांगता है |
नींद में सपना ,सपना का आभार ,मिलते रहेंगे तुम हम
प्यार के हैं दुश्मन अनेक , बेदारी में नहीं मिल सकते हम |
शब्दार्थ : अफुरंत - कभी समाप्त न होने वाला ; बेदारी - जागरण , जागृति
चित्र गूगल से साभार
कालीपद "प्रसाद"
© सर्वाधिकार सुरक्षित
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (27-10-2013)
जिंदगी : चर्चा अंक -1411 में "मयंक का कोना" पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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अहोई अष्टमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपका हार्दिक आभार डॉ रूपचन्द्र शास्त्री जी
Deleteबहुत सुन्दर ,वह सर जी
ReplyDeleteसुन्दर भाव शरीर है इस रचना का विधना का।
ReplyDeleteस्वप्न सुन्दरी की मनोहारी अनुभूति। आभार।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .. आपकी इस रचना के लिंक की प्रविष्टी सोमवार (28.10.2013) को ब्लॉग प्रसारण पर की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें .
ReplyDeleteआपका हार्दिक आभार नीरज कुमार जी
Deleteसुन्दर प्रस्तुति-
ReplyDeleteशुभकामनायें आदरणीय-
नायिका के सपने की सुंदर प्रस्तुति ,,,
ReplyDeleteRECENT POST -: तुलसी बिन सून लगे अंगना
प्रेम का भाव लिए नायिका की प्रेम अभिव्यक्ति ... बहुत सुन्दर ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर .
ReplyDeleteनई पोस्ट : कोई बात कहो तुम
बहुत सुंदर
ReplyDeleteरह जाती वो प्यासी
ReplyDeleteप्यार को तरसी नारी
सादर
रह जाती वो प्यासी
ReplyDeleteप्यार की तरसी नारी
सादर
खुबसूरत रचना बधाई ......
ReplyDeleteनायिका की बहुत खुबसूरत प्रेम अभिव्यक्ति ....
लागी सपने से प्रीत
ReplyDeleteमिलाये मन का मीत ...
बधाई सुंदर रचना की !
सुंदर !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना है.
ReplyDeleteयहाँ भी पधारे
http://iwillrocknow.blogspot.in/
सुन्दर , अच्छी जानकारी
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना.
ReplyDeletebhawon se bharpoor ....
ReplyDeleteआपका हार्दिक आभार कुलदीप ठाकुर जी !
ReplyDeleteबहुत सुंदर और सशक्त.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत सुन्दरता से सजी अभिव्यक्ति सर
ReplyDeleteनई पोस्ट -: प्रश्न ? उत्तर भाग - ५
वा क्या बात है . सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteसुन्दर श्रंगारयुक्त कोमल भाव।
ReplyDeletebahut sundar.....................................
ReplyDeleteWah Kalipad prasad ji,
ReplyDeletebahut hi sundar rachana hai aapki,wastav me ''HAM EK DOOJE KE DILO ME RAHTE HAI'' ki anubhuti karati rachana,bahut-bahut badhai
यथार्थ बड़ा कठोर होता है शायद इसलिए सपने मन को भाते है !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना....
ReplyDeleteबधाई!!
सादर
अनु
उम्दा रचना
ReplyDeleteबहुत उम्दा...बधाई...
ReplyDeletepyar say bhari rachna
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteआपकी यह रचना बहुत ही सुंदर है…
ReplyDeleteमैं स्वास्थ्य से संबंधित छेत्र में कार्य करता हूं यदि आप देखना चाहे तो कृपया यहां पर जायें
वेबसाइट
Nice information
ReplyDeletehtts://www.khabrinews86.com