प्यार में उचित
है रूठना शिकायत करना
पर इन्हें शिकायतें
नहीं, न गुस्ताखी मानना ll
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दुनिया अजीब है, सब
जगह बंटवारा है
कहीं रिश्तेदारों
का, कहीं जर जमीं का ll
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फुल कहीं भी खिले
,जी भर खुलकर खिले
मुरझा गए, अपनी खुशबू को छोड़ गए हैं ll
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समझ और समझौता जिंदगी का सार है
सफल और सुखमय जिंदगी की कुंजी है ll
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वक्त होता है कभी वक्त से वलवान .
देता कभी मान तो कभी अपमान ll
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लौटकर नहीं आते वो दिन जो बीत गए
जख्म को ताज़ा रखने केवल यादों में वो रह गएll
जख्म को ताज़ा रखने केवल यादों में वो रह गएll
अंधेरी रात में जैसे चाँद तारों के साथ,
मन के आँगन में आ गई यादों की बारातll
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धूम धाम से दिखावा का पूजा करनेवाले
दिल से भगवान को नहीं मानते ll
दिल से भगवान को नहीं मानते ll
धर्मं का धंधे करने वाले
प्यार मुह्हबत को नहीं मानते ll
धर्म तो क्या? चढावा न मिले तो
पुजारी भगवान को भी नहीं
पहचानते ll**********************************
कालिपद 'प्रसाद '
सुंदर अभिव्यक्ति ,,,
ReplyDeleteनवरात्रि की बहुत बहुत शुभकामनायें-
RECENT POST : पाँच दोहे,
sundar parstuti...jeevan ka sar.....
ReplyDeleteनवरात्रि की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
ReplyDeleteबहुत ख़ूब! नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteलाजवाब अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत बढिया
ReplyDeleteअनुपम..
ReplyDeleteबहुत बढिया..सुन्दर रचना..
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति....
ReplyDeleteवाह... उत्तम प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत खूब .. सभी बातें महत्वपूर्ण .. समय सबसे बड़ा ...
ReplyDeleteउत्तम भाव ...
BAHUT SUNDAR RACHNA ,BADHAI
ReplyDeleteबड़ी सुन्दर है भावों की छिटकन।
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