Sunday, 28 September 2014

शुम्भ निशुम्भ बध -भाग 6


                                                           

                                                                 

                                                                      भाग ५ से आगे

       १०५ 
विष्णु की शक्ति
धर रूप वैष्णवी
हाजिर हुई
हाथ में शंख चक्र
और गदा पद्म भी !
          १०६
ब्रह्मा की शक्ति
हु -बहु ब्रह्म रूप
कमंडलू से
सुशोभित ब्राह्मणी
हाथ में अक्ष माला !
           १०७
देवी शिवानी
महादेव की शक्ति
बृषभारुढ़
चन्द्रमौली शंकर
त्रिशूल-हस्त शिव |
       १०८
इन्द्र की शक्ति
बज्र हाथ में लिए
उपस्थित थीं
ऐरावत आरुड़
इन्द्र के जैसे रूप |
        १०९
अनेक शक्ति
है श्रीहरि की शक्ति
अनेक रूप
धर वराह रूप
शक्ति नृसिंह के भी |
        ११0
 देवों की शक्ति
उसी देव -रूप में
हुआ हाजिर
चंडिका के सम्मुख
रण हेतु प्रस्तुत  |
         १११
 इसके बाद
महादेव ने कहा
देवी चण्डिका
मेरी ख़ुशी के लिए
दैत्यों को संहारो ||
        ११२
उग्र चण्डिका
प्रगट हुई शक्ति
देवी काया से
कहा हे महादेव
 हे  देव आदि देव |
          ११३
जाइये आप
शुम्भ निशुम्भ पास
दूत रूप में
कहें दैत्य द्वय से
और अन्य दैत्यों से .....
          ११४
हे दैत्यों सुनो
यदि तुम्हे जीवित
जाना है घर ....
पाताळ लौट जाओ
युद्ध को यहीं छोडो |
          ११५
त्रिलोक राज्य
इन्द्र को मिलजाय
समाप्त युद्ध,
अभिमान हो तुम्हे
और यदि घमंड .....
        ११६
आओ युद्ध में
योगिनियाँ तुम्हारे
कच्चे मांस से
बहुत तृप्त होंगी
चबाकर हड्डियाँ |
             ११7 
शिव शंकर
दूत के कार्य में  भी
अति निपुण
कहा दैत्य द्वय को
चण्डिका के वचन |
          ११८
शिव के मुँह
सुन देवी वचन
महादैत्य भी
क्रोध से भर गए
तीब्र  कांपने लगे |
        ११९
कात्यायनी थीं 
विराजमान जहाँ
उधर गए
भरकर अमर्ष
अस्त्रों की वर्षा किये |
         १२०
तब देवी ने
आसान लड़ाई में
दैत्य -अस्त्रों को
जल्दी से काट डाले
जैसे खेल खेल में |
         १२१
दैवी शक्तियां
किया दैत्य संहार
अस्त्रों शास्त्रों से
वैष्णवी ने चक्र से
शिवानी र्त्रिशुल से |
          १२२
कार्तिकेय की
शक्ति ने भी शक्ति से
किया प्रहार
भयानक दैत्यों का
रक्त से लाल भूमि |
          १२३
इन्द्र के बज्र
शक्ति प्रहार ,मृत 
सैकड़ों दैत्य
युद्ध क्षेत्र में मचा
दैत्यों में हाहाकार |
         १२४
शिवदूती के
प्रचण्ड अट्टहास
मुर्च्छित दैत्य
जो गिरे पृथ्वी पर
काली के बने ग्रास |


नवरात्रों की  हार्दिक शुभकामनाएं
 क्रमशः

कालीपद "प्रसाद"
सर्वाधिकार सुरक्षित




4 comments:

  1. वाह क्या खूब लिखा अति सुन्दर, बनारस देखिए क्या और कैसा है ?

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  2. बहुत सुंदर भक्तिमय प्रस्तुति...नवरात्र की हार्दिक शुभकामनाएँ!!

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