Tuesday, 23 September 2014

शम्भू -निशम्भु बध --भाग १

प्रिय मित्रों !
आप सबको शारदीय नवरात्री ,दुर्गापूजा एवं दशहरा का अग्रिम शुभकामनाएं ! गत वर्ष इसी समय मैंने महिषासुर बध की  कहानी को जापानी विधा हाइकु में पेश किया था जिसे आपने पसंद किया और सराहा | उससे प्रोत्साहित होकर मैंने इस वर्ष "शुम्भ -निशुम्भ बध" की कहानी को जापानी विधा "तांका " में प्रस्तुत करने जा रहा हूँ | इसमें २०१ तांका पद हैं ! दशहरा तक प्रतिदिन 20/२१ तांका प्रस्तुत करूँगा |आशा है आपको पसंद आयगा |नवरात्री में माँ का आख्यान का पाठ भी हो जायगा !


                                                                            
                                                                                



                                                        वन्दना !
    १.
शारदा देवी
विद्या बुद्धि दायिनी
त्वं सरस्वती
पुन: पुन: नमामि
अर्पित पुष्पांजलि |
          २.
चन्द्र रूपिणी
सुख शांति दायिनी
शुभ्र वरन
जगत जननी को
सतत नमस्कार |
         ३.
राज लक्ष्मी को
शर्वाणी स्वरुपा  को
अत्यंत सौम्य
अत्यंत रौद्ररूपा
देवी को प्रणमामि|
        ४.
सरस्वती ही 
महा लक्ष्मी रूपिणी
दुर्गा रूपा को
रक्तबीज हारिणी
नमामि महाकाली |
          ५.
चन्द्र किरण
सम ज्योति,कान्ति है ,
शुम्भ -निशुम्भ
घातिनी दुर्गामा को
सतत नमन है |
          ६.
दुःख नाशिनी
शुम्भ आदि दैत्यों का
कर संहार
देवराज इन्द्र का
किया स्वर्ग उद्धार |
        7.
नमामि त्वम्
बहु रूप धारिणी
कष्ट हारिणी
हरना मेरी  बाधा
कहूँ तुम्हारी कथा |
************

कथा  !  

     ८.
आदि काल में
शुम्भ ओ निशुम्भ ने
इन्द्रदेव से
छिन लिया  स्वर्ग को
और यज्ञभाग को |
        ९.
सूर्य चन्द्रमा
कुबेर यम और
वरुण का  भी
अधिकार सबका
दोनों दत्यों ने छिना |
         10.
वायु अग्नि को
सब देवताओं  को
पराजित हो
अधिकार हीन हो
स्वर्ग से जाना पड़ा |
         ११.
जगदम्बा ने
दिया था वरदान
देवताओं को
आपद विपद में
करेंगी रक्षा उन्हें |
        १२.
दोनों दैत्यों से
तिरस्कृत देवता
दुर्गा देवी के
शरण में पहुंचे
दुःख के नाश हेतु |
       १३.
पहुंच कर
गिरि हिमालय में
कर बद्ध हो
जगदम्बा माता की
स्तुति करने लगे |
       14.
हे दुर्गापारा
सारा सर्व कारिणी
सुख स्वरुपा
जगत का  आधार
कोटिश: नमस्कार |
       १५.
विष्णुमाया के
नाम से प्रचलित
सब प्राणी में
प्रतिष्ठित जग में
तुमको नमस्कार |
        १६.
हम सब की
वुद्धि ,शक्ति ,कान्ति हो
लज्जा रक्षक
राजलक्ष्मी श्रद्धा हो
क्षमाशील माता हो |
         १७.
करुणामयी
रक्ष हे दयामयी
देवताओं को
शुम्भ निशुम्भ दैत्य
पराजित देवों को |
        18.
कल्याण मयी
जग मंगल कारी
हे जगदम्बा
हम है स्वर्ग हीन
देवलोक स्वर्ग से |
         १९.
भगाए हुए
उद्दंड असुरों से
शरणागत
हमसब देवता
संकट दूर करो |
        20.
पार्वती देवी
गंगा स्नान के लिए
गंगा पहुंची,
सुन देवता स्तुति
भगवती ने पूछा |
         २१.
किसकी स्तुति
देवगण करते
बताओ मुझे ,
उन्ही के शरीर से
शरीर कोष जन्मी
        २२
नाम कौशिकी
बोली भगवती से
देवता गण
पराजित होकर
शुम्भ ओ निशुम्भ से ...
       २३
मेरी ही स्तुति
गा रहे हैं देवता
एकत्रित हो ,
होकर मैं प्रसन्न
दुःख दूर करुँगी |


क्रमशः....

कालीपद "प्रसाद "
सर्वाधिकार सुरक्षित




13 comments:

  1. जय माँ दुर्गा भवानी की ! नव रात्र का शुभारंभ माँ की बहुत ही सुंदर स्तुति से किया है आपने ! माँ अम्बे सबका कल्याण करें ! बहुत ही सुन्दर कथा !

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  2. माँ शारदे को समर्पित बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति। स्वयं शून्य

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  3. Bahut sunder stuti ... Maa durga apni kripa sabpar baanaaye rakkhe ... Badhayi !!

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  4. Bahut sunder stuti ... Maa durga apni kripa sabpar baanaaye rakkhe ... Badhayi !!

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  5. सरस्वती ही
    महा लक्ष्मी रूपिणी
    दुर्गा रूपा को
    रक्तबीज हारिणी
    नमामि महाकाली

    भक्ति-भावपूर्ण वंदना।
    शुभकामनाएं।

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  6. नवरात्र पर बहुत बढ़िया प्रस्तुति
    जय माँ भवानी
    शारदे!

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  7. नवरात्रि पर्व शुभ और मंगलमय हो |

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  8. माँ शारदे ... माँ दुर्गा ... जय आंबे माँ ...

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  9. बहुत सुन्दर प्रस्तुति..जय माता दी

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  10. waah kya baat hai... gazab ki prastuti hai.. itna lazwab likh sakte hain aap..
    jai mata ki

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