माँ स्कंदमाता |
आप सबको शारदीय नवरात्रों ,दुर्गापूजा एवं दशहरा का अग्रिम शुभकामनाएं ! गत वर्ष इसी समय मैंने महिषासुर बध की कहानी को जापानी विधा हाइकु में पेश किया था जिसे आपने पसंद किया और सराहा | उससे प्रोत्साहित होकर मैंने इस वर्ष "शुम्भ -निशुम्भ बध" की कहानी को जापानी विधा "तांका " में प्रस्तुत कर रहा हूँ | इसमें २०१ तांका पद हैं ! दशहरा तक प्रतिदिन 20/२१ तांका प्रस्तुत करूँगा |आशा है आपको पसंद आयगा |नवरात्रि में माँ का आख्यान का पाठ भी हो जायगा !
भाग चार से आगे
८५
महा असि से
देवी ने किया वार
दैत्य चंड को
केश पकड़कर
मस्तक काट डाला |
८६
चंड को मरा
देखकर मुंड भी
क्रोधित हुआ
गुस्से में हो पागल
देवी की ओर दौड़ा
८७
क्रोधित देवी
तलवार वार से
घायल कर
पराक्रमी दैत्य को
गिरा दी धरती पर |
८८ -८९
चंड-मुंड का
पतन देखकर
व्याकुल सेना
चंड और मुंड का
हाथ में मस्तक ....
कालिका देवी
चण्डिका के समीप
पहुंच गई
प्रचण्ड अट्टहास
करते हुए कहा ..
९०
हे देवी ! मैंने
चंड -मुंड नामक
दैत्य मस्तक
तुम्हे भेंट किया है
इसे स्वीकार करो |
९१
शुम्भ -निशुम्भ
करेगा अब युद्ध
होकर क्रुद्ध
कल्याणमयी चंडी
उनको तुम मारो |
९२
देवी चण्डिका
मीठी वाणी में कहा
काली देवी से
चंड मुंड घातिनी
तुम्हारी होगी ख्याति ...
९३
चराचर में
"चामुंडा " के नाम से
विख्यात होगी
पूजेंगे सब भक्त
पूर्ण हो मनोरथ |
रक्तबीज बध
९४
प्रतापी शुम्भ
मन में बड़ा क्रोध
दैत्यों का राजा
चंड मुंड के बध
सेना संहार ,क्षुब्द |
९५
युद्ध के लिए
सम्मूर्ण दैत्य सेना
लड़ने चले
दैत्य सेनापति को
दिया आज्ञा शुम्भ ने |
९६
कम्बू कालक
दौर्हद ,मौर्यआदि
प्रस्थान करे
कालकेय असुर
युद्ध के लिए चले |
९८
चण्डिका देवी
देख दैत्य सेना को
गुंजित किया
पृथ्वी और आकाश
धनुष टंकार से |
99
तदनन्तर
देवी के सिंह किया
तीव्र दहाड़
अम्बिका ने घंटे की
ध्वनि को बढ़ा दिया |
१००
सिंह दहाड़
धनुष की टंकार
दिशाएँ गूंजी
तीव्र घंटे की ध्वनि
भयोत्पादक नाद |
१०१
दैत्यों की सेना
सुन विशाल नाद
एकत्रित हो
घेर लिया क्रोध में
चंडिका- चामुंडा को |
१०२
काली देवी ने
भयंकर शब्द से
बड़ा मुख को
और भी बड़ा किया
विकराल चेहरा |
१०३
तदनंतर
असुरो के विनाश
देवताओं के
अभ्युदय के लिए
आई दैवी शक्तियां |
१०४
दैवी शक्तियां
धर उन्ही के रूप
आई समक्ष
देवी चंडिका पास
महा संग्राम हेतु |
नवरात्रों और दुर्गापूजा का हार्दिक शुभकामनाएं !
(क्रमशः)
कालीपद "प्रसाद "
सर्वाधिकार सुरक्षित
आभार कुलदीप ठाकुर जी !
ReplyDeleteबहुत खूब ! अच्छी धार्मिक प्रस्तुति !!
ReplyDeleteपौराणिक कथा को तांका विधा में प्रस्तुत करने का आपने अत्यंत सफल एवं अभिनव प्रयोग किया है कालीपद जी ! बहुत ही मनोरम प्रस्तुति !
ReplyDeleteAanandit karti prastuti.....bahut hi sunder !!
ReplyDeleteसुंदर लेखन सर धन्यवाद !
ReplyDeleteI.A.S.I.H - ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
बहुत सुन्दर भक्तिमय प्रस्तुति...
ReplyDeleteलाजवाब .. नमन है इस परिषम को आपके ...
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति धन्यवाद
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