Wednesday, 24 September 2014

शम्भू -निशम्भु बध भाग २

भाग १ से आगे 

 
माँ ब्रह्मचारिणी



    २४    
इसके बाद
भृत्त शम्भू निशम्भु
चंड-मुंड ने
देखा मन मोहिनी
देवी अम्बिका रूप|
         25
सुचना दिया
शुम्भ ओ निशुम्भ को
रूपसी देवी
स्थित है पर्वत में
महारानी के योग्य |
        २६
मोहिनी रूप
किसीने नहीं देखा
असुरेश्वर
स्त्रियों में वह श्रेष्ट
है वह कुलश्रेष्ट |
        २७
अंग सुन्दर
बहुत ही सुन्दर
अंग प्रत्यंग
श्री अंगों के प्रभा से
प्रकाशित दिशाएँ |
        २८
असुरेश्वर !
कौन देवी है वह ?
जान लीजिये
हिमालय पर ही
बैठी है वह अभी |
        २९
हे दैत्यराज !
लोकों में हाथी  घोड़े
है जो आपके
मणि रत्न जितने
शोभा पाते घर में ....
       30
सब तुच्छ हैं ,
रमणी के रूप में
वह हीरा है
आपकी महारानी
बनने सुयोग्य हैं |
       31
स्त्रियों में रत्न
कल्याणमयी देवी
अपूर्व आभा
होगी दैत्यों की रानी
करते  हैं  विनती |
         ३२
चंड -मुंड का
सुनकर वचन
 शुम्भ ने दूत 
असुर सुग्रीव को
भेजा देवी के पास |
        ३३
शुम्भ ने कहा
तुम मेरी आज्ञा का
करो पालन
समझाना देवी को
शीघ्र करो गमन |
       ३४
दूत पहुँचा
जहाँ देवी मौजूद
विनम्रता से
वाणी में कोमलता
मधुर वचन से ...
       ३५
प्रार्थना किया ...
"तोनो लोकों के राजा
शुम्भ दैत्य का
सन्देश सुनो देवी
मैं हूँ दूत सुग्रीव |
      ३६
उनकी आज्ञा
मानते है देवता
त्रिलोकेश्वर
यज्ञों भागो को वह
भोगता है अकेला |
         ३७
 लोकों में श्रेष्ट
स्वर्ग मर्त्य पातळ
अजेय राजा
देवराज इन्द्र का
राजत्व छीन लिया|
       ३८
देव गंघर्व
सबके रत्न  आदि
शुम्भ निशुम्भ
जित लिया सबको
हराकर युद्ध में |
        ३९
महा संग्राम
किया दैत्य द्वय ने
देवताओं से
स्वर्ग को भी जीता है
हराकर देवों को |
       ४०
मृग नयनी !
सारी स्त्रियों में मणि
हे कोमोलांगी!
मेरी ये बातें सुनो
भजो शुम्भ निसुम्भ !"
       ४१
दूत मुख से
परक्रामी शुम्भ के
सुन सन्देश ,
मुस्कुराकर देवी
मीठी वचन बोली |
       ४२
दूत सुग्रीव
सत्य कहा तुम ने
मिथ्या नहीं है |
शुम्भ लोकों का स्वामी
निशुम्भ पराक्रमी |
       ४३
बुद्धि हीन मैं
प्रतिज्ञा बद्ध हूँ मैं
तोडूँगी कैसे ?
जो वीर संग्राम में
हरा देगा मुझको .....
         ४४
निश्चित जानो
मेरा स्वामी होगा वो
अल्प वुद्धि मैं
नहीं तोड़ सकती
यह प्रतिज्ञा मेरी |


क्रमश:

कालीपद "प्रसाद"
सर्वाधिकार सुरक्षित














7 comments:

  1. दैत्य दमन और माँ के शोर्य की गाथा ...
    बहुत लाजवाब ...

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  2. बहुत सुन्दर...जय अम्बे माँ

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  3. अद्भुत अनुपम कथा ! बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति !

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  4. sab badhiya.. ek se badhkar ek.. itni adbhut katha

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